पाठकों और रंगकर्मियों के लिए दस्तावेज़ ‘कला वसुधा’
जीतेन्द्र सिंह पिछले दिनों लखनऊ से निकलने वाली प्रदर्शनकारी कलाओं की त्रैमासिक पत्रिका कला वसुधा के पाँच अंक पढ़े ।
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Read moreपूजा की छुट्टी से ठीक एक दिन पहले लेखिका द्वारा भेंट स्वरूप प्राप्त इस पुस्तक के शीर्षक ने मुझे सबसे
Read moreजनवरी का महीना हो। रविवार हो। दोपहर का समय हो और आपको फिल्म देखने की इच्छा हो जाये। और उसके
Read moreअगर आप किताबें पढ़ने के शौकीन हैं तो आपके लिए यह रोमांचक खबर हो सकती है। एक शख्स ने लगभग
Read moreवरिष्ठ इतिहासकार सुधीर चन्द्र की पुस्तक ‘‘रख्माबाई स्त्री अधिकार और कानून’’ गुलाम भारत के समय की एक ऐतिहासिक घटना का
Read moreअपने चरित नायकों को हम उस पूज्य दृष्टि से देखते हैं कि उनके आस – पास चमत्कार की कथायें गढ़
Read moreप्रशनिकी सम्प्रति महानगर कोलकाता की रंग संस्था पदातिक और रिक के संयुक्त तत्वाधान में प्रस्तुत नाटक ‘हो सकता है दो
Read moreकोलकाता : नीलाम्बर कोलकाता द्वारा आयोजित लिटरेरिया का समापन साहित्य, संस्कृति और कला के तमाम रंगों को बिखेरते हुए हुआ।
Read moreलिटिल थेस्पियन का 8वां राष्ट्रीय नाट्य उत्सव जश्न-ए-रंग उन्हीं भावों और संवेदनाओं का रोचक प्रदर्शन है। यह 17 से 22
Read moreभारत कई कलाओं की जन्मभूमि रहा है मगर नयी सोच हर चीज को पश्चिम से आयातित बताने में विश्वास रखती
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